Tuesday 20 June 2017

Bas, aage hi badhna jeevan hai!










कहते हैं ,एक वर्ष तो यूं ही  गुज़र जाता है, पलक झपकते झपकते,
लेकिन, यदि उसका हर इक लम्हा दर्द  में लिपटा हो, तो क्या कहना?
सुना है ,यादों के कारवां भी धुंधले से पड़ जातें  है, सिमटते सिमटते,
पर उन यादों का हर इक साया कसक में लिपटा हो तो क्या कहना? 

एक इंसान के  जीते जागते एहसास दम तोड़ भी दें यदि तो गम नहीं ,
ज़िन्दगी तो उदार है ,और भी  बहुत से अवसर  देती है उस इंसान को,
लेकिन यदि एक जीगता जागता इंसान अचानक ही दम तोड़ दे यूँही ,
तो उसके अपनों के एहसासों और  सपनों की भरपाई किस तरह हो?

उन माँ  बाप के दिल पर क्या क्या नहीं गुज़री होगी इस पूरे एक वर्ष में,
जवान बेटे की अर्थी को कान्धा दिया था, दिल पर पत्थर रख कर जिन्होंने ?
उनके अरमानों पर कैसा केहर ढाया होगा, उस एक भयानक  झटके ने ,
उनके  जिगर के टुकड़े को जब अचानक उनसे छीन लिया था किस्मत ने ?

असीम दुःख के एहसास से भी परे हैं कुछ दर्द ऐसे ही, इस जीवन के,
जीना  न चाहें  तो भी जीना पड़ता है , भले घुट घुट कर ही जीना हो ,
आंसूं कभी तो  नासूर बन जाते हैं और कभी बहते हैं दरिया बन के,
गुज़र तो जाते हैं बोझिल पल पर ज़िन्दगी रोक लेती  है कुछ लम्हों को।

वो कुछ अनकहे से बोल, कितना  कुछ कह  जाते हैं, हम सबसे,  बिन कहे,
कितने कठिन पाठ  पढ़ा गयी  है उनके  जीवन की आप बीती गाथा हमको,
वो कुछ आँसू ,अपने अंदर छुपे गहरे दुखों की झलक दे जाते हैं, बिन बहे,
इतने सबक सीखा रही  है, उनकी जीवन को निभाने की हिम्मत हमको।

जीवन की धूप छाँव की इसआँख मिचोली में  हंस कर जीना  ही पड़ता है ,
गम मिले या मिले ख़ुशी ,उसे अपनाकर, डटे  रहने का नाम ही जीवन है.
जीवन के सुख दुःख भरे इस सफर में  कभी आंसुओं को पीना भी पड़ता है,
आंधी आयेया आये तूफ़ान, कभी न रुकना, बस आगे ही बढ़ना जीवन है।













 


 

पल भर में जब दम तोड़ दें और थम जाये उसकी  सॉंस , 

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