Monday 26 January 2015

Har shaks yahan tanha kyun hai?

मुंबई महानगरी की इस भरी भीड़  में रहने वालों का खयाले बयान ...




हर शक्स आखिर इतना तनहा क्यूँ  है यहाँ?


हर शख्स आखिर इतना तनहा क्यूँ  है यहाँ?

ढूंढता रहता है वो  हर पल ,किसको  ,यहाँ वहाँ ?

भरी भीड़ में  भी रहता है इस कदर  तनहा वो,

जैसे तलाश कर रहा हो वो अपने ही वजूद को।

प्यार भी है, परिवार भी है और संसार भी है ज़रूर ,

क्यों फिर भी लगता  है , एक अधूरापन सा भरपूर।

उम्र गुज़र ,जाती है उसकी, खुद की पहचान बनाने में,

फिर भी नहीं पहचान पाता है कोई उसे ,ज़माने भर  में।

मुस्कुराता है वो भीड़ में, तन्हाई  में होती हैं  उसकी आँखे नम,

खुशियों के हो कितने भी काफिले,नहीं छुपा पाता  वो अपने गम.

आखिर इस तन्हाई की वजह क्या है,कोई  शायद जानता ही  नही ,

महसूस करता है हर शख्स,पर किसी से खुल कर कहता ही  नहीं ,

हर शख्स आखिर इतना तनहा क्यूँ  है यहाँ?

ढूंढता रहता है वो  हर पल , क्या ,यहाँ वहाँ ?










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