Monday, 9 April 2012


This is my first hindi poem dedicated to my favourite divine form, my Sai Baba...














 नमो नमो,  हे मेरे साईं राम ,
बनाओ मेरे सभी बिगड़े  काम 



शिर्डी का था एक छोटा सा गाँव ,
बनाया आपने उसको परम धाम 
जो भी आया दर पे ले कर पैगाम ,
दुख उसके हर लीने आपने तमाम 


 आपके हैं अनगिनत रूप और नाम,
उन सब को भजने का नहीं कोई दाम 
 भजे जो भी दिल से सुबह और शाम, 
बन जातें हैं  उसके सभी बिगड़े काम


कलयुग में मचा हुआ है कोहराम,
दिन दहाड़े होते रहते हैं  कत्लेआम 
पर साईं तुम्हारा हाथ जब लें  थाम,
दुश्मन का हो जाता है जीना हराम


साईं  बाबा तुम बिन तो मैं हूँ बेनाम,  
साईं नाम का अब मैं  पीना चाहूं जाम.
 साईं साईं जपना चाहूं मैं  सुबह शाम, 
साईं चरणों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम    




 नमो  नमो,   हे  मेरे  साईं  राम ,  
बनाओ   मेरे  सभी  बिगड़े  काम 


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